विशेषज्ञों का मानना है कि जोशीमठ के लिए खतरा किसी अचानक आई प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में पहाड़ी शहरों जैसे नैनीताल, मसूरी, शिमला और धर्मशाला में शहरीकरण की धीमी और निर्मम अज्ञानता का परिणाम है।
जोशीमठ में संकट पहाड़ों के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ लापरवाह मानवीय हस्तक्षेप की कहानी है जो पारिस्थितिकी को बाधित कर रहा है। सामरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की भूमि को अब केवल इतिहास में ही याद किया जाएगा क्योंकि महत्वपूर्ण स्थल भूमि के धंसने के खतरे में आ गए हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे शहर के लिए खतरा किसी अचानक प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में पहाड़ी शहरों जैसे नैनीताल, मसूरी, शिमला और धर्मशाला में शहरीकरण की धीमी और निर्मम अज्ञानता का परिणाम है।